लेखक - प्रेमचंद
प्रकाशक - राजपाल एंड सन्स
‘गोदान’ प्रेमचन्द द्वारा लिखे एक महत्वपूर्ण उपन्यास है । इसमें भारतीय ग्राम समाज एवं परिवेश का सजीव चित्रण है। गोदान ग्राम्य जीवन और कृषि संस्कृति का महाकाव्य है।प्रेमचन्द ने अपनी कहानियों में शोषक-समाज के विभिन्न वर्गों की मुशिकलों का पर्दाफाश किया है।'गोदान' होरी की कहानी है, उस होरी की जो जीवन भर मेहनत करता है, अनेक कष्ट
सहता है, केवल इसलिए कि उसकी मर्यादा की रक्षा हो सके और इसीलिए वह दूसरों
को प्रसन्न रखने का प्रयास भी करता है, किंतु उसे इसका फल नहीं मिलता और
अंत में मजबूर होना पड़ता है, फिर भी अपनी मर्यादा नहीं बचा पाता। परिणामतः
वह जप-तप के अपने जीवन को ही होम कर देता है। यह होरी की कहानी नहीं, उस
काल के हर भारतीय किसान की आत्मकथा है। और इसके साथ जुड़ी है शहर की
प्रासंगिक कहानी। 'गोदान' में उन्होंने ग्राम और शहर की दो कथाओं का इतना
यथार्थ रूप और संतुलित मिश्रण प्रस्तुत किया है।
मै इस किताब मेरे पिता के प्रेरणा से लिया और मुझे यह किताब अच्चा लगा ।
दिलीप एम
9 -स
S 3774
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